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Magnet Therapy-चुम्‍बक चिकित्‍सा

इस अखि‍ल ब्रह्माण्‍ड की रचना में हम विचार करें तो चुम्‍बकीय शक्ति का समावेश हमें दिखायी देता है। प्रकृति का हर पदार्थ एक चुम्‍बकीय शक्ति लिये हुए है। चुम्‍बकीय शक्ति का आधार यह है कि हमारे अंदर मुल रुप से एक विद्युतीय शक्ति है।


मनुष्‍य के शरीर में जीवन के आरंभ से कुछ चुम्‍बकीय तत्‍व होते हैं जो जीवन के अंत तक‍ रहते है। चुम्‍बकीय शक्ति रक्त संचार के माध्‍यम से मानव शरीर को प्रभावित करती है। हम देखते है कि हमारे शरीर के हर हिस्‍से में नाडियों और नसों द्वारा खून पहुँचता है। यही हमारे अंदर की चुम्‍बकीय शक्ति है। जो हमारे शरीर को प्रभावित करती है।


चुम्‍बक रक्त‍कणों में हीमोग्‍लोबिन तथा साइटोकेम नामक अणुओं में निहित लौह तत्‍वों पर प्रभाव डालता है। इस तरह चुम्‍बकीय क्षेत्र के सम्‍पर्क में आकर खुन और गुण में लाभकारी परिवर्तन आ जाता है और इससे शरीर के अनेक रोग ठीक होते है। चुम्‍बकीय चिकित्‍सा से कोई हानी नहीं होती इसलिये यह बच्चे, वृध्‍द, स्त्रियॉं सभी के लिये लाभदायक है। प्राचीनकाल में आकर्षण शक्ति और वेदों इसका उल्‍लेख में मिलता है। मृत्‍यु के समय मनुष्‍य का सिर उत्तर की ओर पॉव दक्षिण की ओर करने की प्रथा हमारे यहाँ प्राचीन काल से चली आ रही है। ऐसा करने से धरती और शरीर में चुम्‍बकीय क्षमता हो जाने के कारण मृत्‍यु के समय पीड़ा कम हो जाती है। योगासनों एवं ध्‍यान के माध्‍यम से शरीर में जो प्रतिक्रिया होती है वह चुम्‍बक से भी उत्‍पन्न कि जा सकती है।

विदेशों में इसके प्रमाण मिलते है। मिश्र की राजकुमारी अपनी सुंदरता के लिये अपने माथे पर चुम्‍बक बांध कर रखती है। अमेरिका में भी कई डॉक्‍टरों ने चुम्‍बक चिकिम्‍सा के माध्‍यम से केंसर जैसे रोगों को ठीक करने के प्रमाण है। रुस में चुम्‍बकीय जल से दर्द सुजन, पथरी जैसे रोगों को ठीक किया गया है। वहॉं चुम्‍बकीय जल को वण्‍डर वॉटर कहा जाता है। जापान में तो चुम्‍बक के हार, पटि्टयॉं, कुर्सियॉं, बिस्‍तर आदि बनाये हैं। अनेक देशों में डेनमार्क, फ्रांस, नार्वे में चुम्‍बकीय जल से एवं उसके प्रयोग से अनेक बिमारियों को ठीक करते हैं। भारत में भी अनेक डॉक्‍टर्स होम्‍योपैथी आयुर्वेदिक चिकित्‍सा पध्‍दति के साथ चुम्‍बकीय चिकित्‍सा का प्रयोग करते है। चुम्‍बकीय जल यदि पौधौं में दिया जाए तो पौधौं में 20 से 40 प्रतिशत की अधिक वृध्दि होती है।

सिरेमिक चुम्‍बक ऑंख, कान, नाक, गला आदि के काम में लाये जाते है। धातु से बने मध्‍यम शक्ति सम्‍पन्‍न चुम्‍बक शारीरिक रुप से कमजोर लोगों के लिये उपयोग में लिये जाते है। धातु से बने मध्‍यम शक्ति के चुम्‍बको का प्राय: सभी के लिये होता है। दस मिनिट चुम्‍बक लगाना पर्याप्त होता है। कुछ रोगों मे जैसे गठिया, लकवा, पोलियो, साइटिका में चुम्‍बक लगाने की अवधि बढ़ाई जा सकती है। चुम्‍बक के प्रयोग से शरीर के भीतर जमा होने वाले हानीकारक तत्‍व साफ होते है। खुन पतला होता है। हृदयगती से सहज बनी रहती है। चुम्‍बक चिकित्‍सा से स्‍नायुओं को नया जीवन मिलता है। चुम्‍बक के दो ध्रुव होते है जिन्‍हें उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव कहा जाता है। उत्तरी ध्रुव कीटाणुओं का नाश करता है। यह घाव चर्म रोग आदि पर उपयोगी होता है। दक्षिणी ध्रुव शरीर को गर्मी प्रदान करता है। चुम्‍बकीय चिकित्‍सा पध्‍दति रोगों और उसके रोकथाम दोनों पर असर कारक है। स्‍वस्‍थ व्‍यक्‍ति‍ की भी चुम्‍बकीय शक्तियॉं अलग-अलग होती है। उत्तर दक्षिण के अनुसार चार्ज होती है। चुम्‍बकीय शक्ति प्‍लास्टिक, कपड़े, शीशे, रबड़, स्‍टेनलेस स्‍टील, लकड़ी में भी पायी जाती है।

चुम्‍बक चिकित्‍सा में सावधानियॉं : चुम्‍बक का उपयोग करने के पश्‍चात् एक घंटे तक ठण्‍डी या गर्म वस्‍तुएँ लेनी चाहिये। दो घंटे तक स्‍नान नहीं करना चाहिए। भोजन करके दो घंटे बाद चुम्‍बक का प्रयोग करें। शरीर के कोमल अंगो पर चुम्‍बक का प्रयोग नहीं करना चाहिये। किसी-किसी को चुम्‍बक चिकित्‍सा के दौरान उसकी शक्ति का प्रयोग सहन नहीं होता है। उल्टिया, सिर भन्‍नाना, आदि भी होता है ऐसे में जस्‍ते की प्‍लेट पर पॉंच मिनिट हाथ रखने से चुम्‍बक का प्रभाव कम होता है। चुम्‍बक मनुष्‍य एवं पशुओं के लिए विभिन्‍न रोगों के उपचार का माध्‍यम है।

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